कारोबारी का फोन और स्कूल विस्तार का प्रस्ताव
एक दिन, आरव को एक अजनबी का फोन आया। वह शख्स एक बड़े शहर का कारोबारी था, जिसने आरव की कहानी अखबार में पढ़ी थी। उसने आरव को उसके स्कूल के विस्तार में मदद करने का प्रस्ताव दिया। आरव ने उसकी बात सुनी और विनम्रता से कहा, “मैं मदद के लिए आभारी हूं, लेकिन मेरा मकसद केवल धन जुटाना नहीं, बल्कि हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाना है।” यह सुनकर कारोबारी ने आरव के विचारों की सराहना की और स्कूल को आर्थिक मदद दी। इस मदद से आरव ने स्कूल में एक नई लाइब्रेरी और कंप्यूटर लैब बनवाई। अब बच्चे न केवल पढ़ाई कर रहे थे, बल्कि नई तकनीकों को भी सीखने लगे थे।
नेहा की जिंदगी में भी बदलाव जारी थे। उसने अपने व्यवसाय को सफल बनाया और अपने बच्चों को एक अच्छी शिक्षा दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन उसके दिल में एक खालीपन था, जो शायद आरव से जुड़ा हुआ था। उसने सोचा कि एक दिन वह आरव से माफी मांगने जाएगी, लेकिन उसने इसे समय पर छोड़ दिया।
आरव ने अपने स्कूल के माध्यम से बच्चों और युवाओं को सिखाया कि कैसे आत्मनिर्भर बना जा सकता है। उसने छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू करने की ट्रेनिंग दी और बच्चों को बताया कि शिक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल भी कितना महत्वपूर्ण है। उसके स्कूल से कई बच्चे बड़े सपने लेकर निकले और उन्होंने अपने जीवन को सफल बनाया।