बच्चे को बचाने का साहसिक कदम
आरव ने अपने सारे दुख भुलाकर उस बच्चे को बचाने के लिए छलांग लगा दी। उसने अपनी जान पर खेलकर बच्चे को बाहर निकाला। उस बच्चे की मां ने आरव को गले लगा लिया और उसकी आंखों में आंसू भर आए। यह घटना आरव की जिंदगी में एक नया मोड़ बन गई।
आरव ने महसूस किया कि उसकी जिंदगी का मकसद दूसरों की मदद करना हो सकता है। उसने आत्महत्या का विचार छोड़ दिया और लोगों की भलाई के लिए काम करने का फैसला किया। उसने अपने गांव में एक छोटा स्कूल खोला और वहां गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। आरव की जिंदगी धीरे-धीरे बदलने लगी। लोग अब उसकी इज्जत करने लगे और उसका साथ देने लगे। उसने अपने दर्द को अपनी ताकत बना लिया और अपने गांव के बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने का प्रण लिया।
नेहा की यादें अब भी कभी-कभी उसे परेशान करतीं, लेकिन उसने उन्हें अपने दिल से निकाल दिया था। उसने सीखा कि सच्चा प्यार दूसरों की भलाई में है, न कि खुद के स्वार्थ में। उसकी जिंदगी अब नई दिशा में चल रही थी, और वह खुश था। आरव ने अपने अनुभवों से यह जाना कि जिंदगी में मुश्किलें आती हैं, लेकिन उन्हें हमें तोड़ने नहीं देना चाहिए। उसने अपने अतीत को भुलाकर एक नई शुरुआत की। उसका गांव अब उसे एक नायक मानता था, और उसने सबके दिलों में अपनी जगह बना ली।