आरव के स्कूल में नेहा की झलक
इस बीच, गांव में नेहा की खबरें फिर से फैलने लगीं। लोग कहते थे कि नेहा ने आरव के बारे में सुना और अपनी गलती को समझा। लेकिन नेहा का जीवन अब पूरी तरह बदल चुका था। उसने अपनी पुरानी जिंदगी छोड़ दी थी और अपने बच्चों के लिए एक नई शुरुआत की थी। वह आरव से मिलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।
एक दिन, नेहा अपने बच्चों के साथ आरव के स्कूल पहुंची। वह आरव को दूर से देखती रही, लेकिन उसके पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। आरव ने उसे देखा, लेकिन उसकी तरफ कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसने अपनी आंखों में कोई गुस्सा या दर्द नहीं, बल्कि एक शांति दिखाई। नेहा समझ गई कि आरव अब पूरी तरह बदल चुका है।
नेहा ने आरव के स्कूल के लिए एक दान देने का फैसला किया। उसने गुपचुप तरीके से पैसे भेजे और अपना नाम छुपा लिया। जब आरव को यह पता चला, तो उसने इस दान को विनम्रता से स्वीकार किया लेकिन नेहा को खोजने की कोई कोशिश नहीं की। वह जानता था कि कुछ रिश्ते भले ही खत्म हो जाएं, उनकी यादें हमेशा जिंदा रहती हैं।